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शुद्ध मुर्गी कि टट्टी |
सुबह हुई सारे सरपंच तैयार होकर गांव कभी चबूतरे पर आ गए थे और अपनी अपनी बातों में लग गए। आज उन्होंने सोचा की महा ज्ञानी से अपनी मुर्गियों का बदला लेंगे इसलिए उन्होंने मिठाई में मुर्गी की टट्टी मिलाकर रख दी। प्रतिदिन की तरह महा ज्ञानी अपने खेत पर जाने लगा तभी सरपंचों ने उसे बुलाया और कहा आज हम बहुत खुश हैं इसलिए यह मिठाई बांट रहे हैं इसलिए तुम भी ले लो । महा ज्ञानी को मिठाई बहुत पसंद थी उसने मिठाई ले ली। मिठाई खाई तो उसे कुछ भी असहज महसूस नहीं हुआ। लेकिन सरपंचों ने बाद में ठहाका लगाते हुए कहा कि इसमें मुर्गी की टट्टी मिली थी। और सारे गांव वालों को भी बता दिया। गांव वाले महा ज्ञानी पर खूब हंसे लेकिन महा ज्ञानी को इतना समय ना था कि वह बदला ले सकें क्योंकि उसको खेत की बोनी करनी थी। वह 1 महीने तक खेत में खूब मेहनत करता रहा। जिससे उसका शरीर कठोर हो गया और अच्छा ताकतवर दिखने लगा। सरपंच चबूतरे पर बैठे बैठे कमजोर हो गए थे। उनको कुछ ना कुछ बीमारी सताने लगी पर जैसे ही वह महा ज्ञानी को देखते तो वह जल उठते हैं इसलिए 1 दिन उन्होंने महा ज्ञानी से पूछ ही लिया कि तुम इतने स्वस्थ कैसे हो। जब महा ज्ञानी से यह पूछा तो महा ज्ञानी को वह बात याद आ गई जब सरपंचों ने मिठाई में मुर्गी की टट्टी मिलाकर खिला दी थी। उसने सोचा यह सुनहरा आप सारे अपमान का बदला लेने का इसलिए उसने कहा कि मैं शहर से एक दवा लेकर आया था जोकि स्वाद में अच्छा नहीं है पर वह मुझे शक्ति प्रदान करता है। सरपंचों ने ऐसा सुनते ही कहा कि वह हमें भी चाहिए। तब महा ज्ञानी ने वह दवा लाकर दे दी और सरपंच उसी समय खा गए। सरपंचों को दवा अच्छी नहीं लगी उन्होंने कहा यह किस से बनी हुई है तब महा ज्ञानी बोला यह कोई दवा नहीं है बल्कि यह तो मुर्गी की टट्टी है। फिर उसने कहा कि तुम लोगों ने तो मुझे मिठाई में मिलाकर खिलाई थी पर मैंने तो तुम्हें शुद्ध मुर्गी की टट्टी खिला दी। सारे गांव में यह बात फैल गई सरपंचों की खूब हंसी उड़ाई।
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