Monday 30 March 2020

अनोखी शक्ति का रहस्य ( भाग -2 जादूगर की मौत )

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अनोखी शक्ति का रहस्य 

अक्षय तीनों योद्धाओं के साथ महल में ही ठहरा हुआ था क्यूंकि कभी भी कुछ भी हो सकता था।
अक्षय - बधिक क्या तुम जादूगर का पता लगा सकते हो।
बधिक - में अपनी किताबों में देखता हूं । हो सकता है कोई तरीका मिल जाए।
अभय - मेरे पास एक सुझाव है।
अक्षय - बताओ।
अभय - महाराज ने कहा था सपने में जादूगर किसी लड़की को मार कर उसमे दूसरी आत्मा डाल देता है।
यदि हम सपने को कर कर दे तो।
चित्रीका - मतलब ।
अभय - हम किसी लड़की को उस स्थान पर ले जाए जहां स्वप्न में जादूगर लड़की को मारके उसमे दूसरी आत्मा डालता है। पर हम जादूगर के आते ही उसे पकड़ लेंगे।
अभय ने सारी बात राजा को बताई और पूछा स्वप्न में को सा स्थान दिखता है।
राजा - सोचते हुए , वो जगह बहुत उचाई पर थी और वह एक विशाल वृक्ष लगा है। रात के समय में जादूगर लड़की को मारके आत्मा का प्रवेश करा देता है।
 सब महल की छत पर ही खड़े थे
मंत्री - इसारा करते हुए , कहीं वो जगह तो नहीं।
राजा - हां वही है पर वहां कैसे पहुचेंगे।
अक्षय - वहां हम पहुंच जाएंगे ।
अभय - हम चित्रिका को वहां वृक्ष के नीचे बैठा देंगे और हम दूर जाकर छिप जाएंगे।
अक्षय - तो डर किस बात की।

सुबह होते ही चारो उस चोटी कि और चल दिए।
बड़ी मुश्किल के बाद वे चारो उस चोटी पर पहुंचे।
रात भी होने लगी। चित्रीका को वृक्ष के नीचे बैठा कर तीनों दूर जाकर छिप गए।
कुछ समय बाद एक व्यक्ति वह आया । उसने जैसे ही चित्रिका को देखा जादू से उस बांध लिया।
अक्षय और बधिक दोनों सामने से जाकर लड़ने लगे ।पर दोनों जादूगर से बहुत पित रहे थे। बधिक ने अपनी मन की सकती से  अभय से कहा हम जादूगर का ध्यान भटकाते है तुम उसे पीछे से मार दो।
पर अभय के दिल में जादूगर का डर बैठ गया जिससे अभय जादूगर को नहीं मार सका कुछ ही पलों में उसने चित्रीका की आत्मा को एक शीशी में कैद कर लिया और उसमे प्रेत आत्मा का प्रवेश करा दिया।
चित्रीका - जादूगर अब हम अपनी मंजिल से दूर नहीं है। समय आने वाला है जब हम वो द्वार खोल देंगे ।

इतना कहते ही दोनों गायब हो गए।

तीनों वापस आ गए। अक्षय को अभय पर बहुत गुस्सा आया क्यूंकि उसकी गलती कि वजह से अपनी बहन को को दिया। इसलिए अक्षय ने अभय को संस्था से निष्काशित कर दिया।
अभय बहुत ही दुखी था अपनी कायरता पर । इसी कारण से अभय मदिरा पीने लगा।
वह हमेशा मदिरा की दुकान में पड़ा रहता ।

वहीं दूसरी ओर बधिक अपनी पुस्तकों में कुछ ऐसा रहस्य ढूंढ़ लेता है। जिसमे आने वाली।मुसीबत के बारे में सब लिखा था।
बधिक - (राजा और अपने साथियों से ) लगभग दो माह बाद अमस्या की रात को यह पर्वत नस्ट हो जाएगा।
राजा - क्यों ?
बधिक - क्यूंकि इस पर्वत के नीचे हजारों प्रेत आत्माएं कैद है।  यदि जादूगर मंत्र शक्ति से उस ऊंची चोटी का द्वार खोल देगा तो प्रेत आत्माएं बाहर निकल जाएंगी और ये पर्वत नष्ट हो जाएगा।
राजा - क्या इसे रोक नहीं सकते।
बधिक - एक ही उपाय है  जादूगर को पहले ही मार दो  वह द्वार को खुलने ही ना दो।

चारो ने सारी तैयारी कर ले मुकाबले की।
पर वो दोनो कुछ नहीं कर पाते इसलिए उन्हें कुछ योद्धाओं कि जरूरत थी।
राजा - में तुम्हे दो योद्धा दे सकता हूं।


कामायनी
कामायनी

 एक सक्तिसाली योद्धा है जिसके पास जादुई  रक्षा कवच है। और रूप बदल सकती है।

ध्वज
ध्वज


ध्वज अपनी जादुई शक्ति से किसी भी वस्तु को बिना हाथ लगाए उठा सकता है। और उसके पास शक्तिशाली तलवार है जो बहुत बड़ी है।

एक दिन अक्षय (बधिक , ध्वज और कामायनी के साथ) राज्य में घूम रहा था। घूमते घूमते वो चारो मदिरा बाजार से निकले।
वह नशे में धुत्त पड़ा अभय दिखाई दिया।
अक्षय - ध्वज और कामायनी तुम्हे एक वीर योद्धा दिखता हूं , जो कभी हमारी संस्था में हुआ करता था।
वो इतना बहादुर है कि दुश्मन पे हाथ भी नहीं उठा सकता ।
ध्वज और कामायनी - हहाहा।
कामायनी - तो चलो उसकी बहादुरी का परीक्षण किया जाए।
कामायनी ने डरावना रूप धारण किया और अभय के पास गई।
कामायनी ने अभय को डरने कि कोशिश की पर अभय नशे धुत्त थांटो उस साफ दिखाई नहीं दिया।उसने सोच कोई  जानवर है उसने जोर से एक घूंसा मारा कामायनी दूर जा गिरी।

बधिक - कामायनी को उठाते हुए वो डरपोक जरूर है पर कमजोर नहीं।

चारो वापस महल में आए।
दो माह कब बीते पता ही नहीं चला। धीरे धीरे वह घड़ी आ गई।
अक्षय ह हमे अब मुकाबले के लिए उस चोटी पर चलना होगा जहां जादूगर और चित्रिका (प्रेत आत्मा) उस काम को अंजाम देने वाले है।
चारो चल दिए अपने लक्ष्य की ओर।
उस चोटी पर चड़ते चढ़ते रात होने लगी।
वह चोटी पर चित्रीका और जादूगर सुरक्षा घेरे में बैठ कर मंत्र उच्चारण कर रहे थे।
ध्वज ने अपनी बड़ी सी तलवार से उस सुरक्षा घेरे पर बार किया तभी ध्वज दूर जाकर गिरा।
बधिक - हम इसे एक एक करके नहीं तोड़ सकते हैं सबको मिलकर इस पर प्रहार करना होगा।
चारो ने मिलकर प्रहार किया और सुरक्षा घेरा टूट गया।
ये देखते ही जादूगर गुस्से में उठ खड़ा हूआ। अपनी जादुई शक्तियों से चारो को हराने लगा ।
जादूगर ने अपनी पूरी शक्ति से प्रहार किया । पर कामायनी ने अपना शक्ति कवच बना लिया जिससे उसका वार निरस्त हो गया। और फिर जादूगर को चारो ने मिलके धूल चटा दी।
पर जब तक चित्रिका( प्रेत आत्मा ) ने मंत्र पूरा करके उसने जादू से वह द्वार खोल दिया।
अक्षय  हमे कुछ करना होगा।
ध्वज - में कुछ करता हूं।
और वह अपनी शक्तियों से पत्थरों को उठाकर उस द्वार में डालने लगा पर उन पत्थरों से वह द्वार बंद नहीं होने वाला था। कि तभी एक विशाल पत्थर ऊपर से आता है और द्वार पर रखा जाता है। जिससे भूत प्रेत बाहर नहीं आ पाते।

अक्षय जादूगर को मार देता है।
जैसे ही जादूगर मरता है चित्रिका  में से प्रेत आत्मा
निकल जाती है।
बधिक - जड़8गर की कमर में से शीशी निकाल के उसमे से चित्रिकी आत्मा को आजाद कर देता है।
और चित्रिका जीवित हो जाती है।

पांचों महल कि और वापस चलते है।

राजा इस जीत की खुशी में उत्सव की घोषणा करते है। उत्सव में राजा जानता से कहता है कि  अक्षय और उनके योद्धाओं के कारण हम सब आज सुरक्षित है।
अक्षय - महाराज हमने तो उम्मीद ही खो दी थी यदि ध्वज नहीं होता तो उस सुरंग का द्वार बंद ही नहीं होता।
ध्वज - नहीं मैने उस विशाल पत्थर को उस गुफा के द्वार पर नहीं रखा ।
इतने बड़े पत्थर को तो में अपनी शक्ति से हिला भी नहीं सकता।
बधिक - मुझे पता है ये किसने किया।

राजा और अक्षय - किसने किया ।
बधिक - ये सब अभय ने किया।
मैने उसे पत्र भेज कर सब कुछ बता दिया था।
उसने अपनी योजना अनुसार गुफा का द्वार  खुलते ही उस पुनः बंद कर दिया और वह समय निकल गया जब वह द्वार खुल सकता था।
पर अफसोस अभय वह पत्थर कंधे पर रखकर उस सुरंग पर कूद गया जिससे वह अंदर चला गया और पत्थर उस गुफा के द्वार पर रखा गया।

ये सुनते ही अक्षय उसे संस्था से निकालने की वजह से पछताने लगा ।
और अभय के बलिदान के शोक में जनता मोन हो गई।
कुछ दिन बीते जब अक्षय अपने साथियों के साथ मदिरा बाजार में मदिरा पर रहा था। तो एक व्यक्ति नशे में धुत्त कहता है ।
भाई थोड़ी मुझे भी देदो ।
अक्षय उसकी और देखता है तो आश्चर्य चकित हो जाता है।
सब एक ही स्वर में कहते है - ये तो अभय है।
फिर अभय से सब लोग पूछते है कि तुम तो डरपोक थे फिर तुमने ये सब कैसे किया।
अभय - डरपोक था पर मैंने सब खो दिया तो मुझे कुछ भी खोने का डर नहीं था।
और वैसे भी में डरपोक था कमजोर नहीं।
सब बहुत खुश थे क्यूंकि अभय वापस मिल गया था।

                        - - * समाप्त * - -
इस कहानी का प्रथम भाग -
अनोखी शक्ति का रहस्य (भाग -1 स्वप्न यंत्र )

इसी प्रकार की एक और कहानी की सीरीज है जिसे आप पढ़ सकते।


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