योद्धापुरम नाम का एक राज्य था ।चंडेल नाम का राजा राज्य करता था। वह बहुत ही क्रूर और शक्तिशाली राजा था ।उस राज्य में वही सुखी रहता था जो ताकतवर था कमजोरो को गुलाम बनाया जाता था । राजा के पास बहुत से योद्धा थे जिनके पास अद्भुत शक्तियां थी जैसे ऊंची छलांग , फुर्ती, तलवारबाजी, सभी प्रकार की अस्त्र शस्त्र की विद्याएं जानते थे और निहत्थे लड़ाई की तकनीक जिसे आज कुंग फू कहा जाता है |
उन्हीं योद्धाओं में से एक था महागुरु जो कि रणनीति बनाने में माहिर था लेकिन यह पद उसे अपनी शक्तियों के कारण नहीं बल्कि उसके पिता की मौत के बदले मिला था । महागुरु राज दरबार का सेवक नहीं बनना चाहता था। पर उसे यह जानना था कि उसके पिता की मौत कैसे हुई और किसने की।
इस छोटे से राज्य के छोर पर एक पतली गहरी नदी थी उस पार एक जंगल था और गुफाएं भी थे इन गुफाओं में कुछ लोग रहते थे पर युद्ध पुरम वासियों को नहीं पता था गुफाओं में रहने वाले लोग जंगल के फल खा कर और दूसरे राज्यों में डाका डाल कर अपना गुजारा करते थे । वो सिर्फ अमीरों को ही लूटते थे ।
उन गुफा में भी योद्धा रहते थे जिनमें से एक था संवेग । संवेग बहुत ही ताकतवर था। ताकतवर होने के कारण उसे अपने कबीले की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती थी इसलिए वह चोरी करने युद्ध पुरम गया युद्ध पुरम की बाजार की सड़कों में घूमता रहा पूरे राज्य का मुआयना कर के उसने एक साहूकार के यहां चोरी का प्लान बनाया। साहूकार के यहां से सारी सोने की मुद्राएं चुरा ली और वहां से भागने लगा ।
सैनिको को भनक लग गई और सैनिक भी उसके पीछे भागने लगे पर संवेग कहां रुकने वाला था सैनिकों को अपने पीछे दौड़ाते हुए और मारते हुए भागता जा रहा था तभी एक योद्धा उसके पीछे लग जाता है यह और कोई नहीं महागुरु था आगे-आगे संवेग पीछे-पीछे महागुरु दोनों उछल कूद करते हुए भाग रहे थे तभी राज्य के पहाड़ का अंतिम छोर आता है इस छोर के और जंगल के छोड़ के बीच खाई और नदी थी। संवेग पहाड़ी की चोटी से नीचे कूद गया । महागुरु भी कूद गया। दोनों हवा में उड़ रहे थे ओर पानी में जा गिरे।
संवेग तैर कर जाने लगा महागुरु भी उसके पीछे हो लिया। जब दोनों नदी से बाहर निकले तो दोनों के बीच भयंकर लड़ाई होने लगी तभी महागुरु के सिर पर कुछ गिरता है और उसमें से धुआं निकलने लगता है जिससे वह बेहोश हो जाता है जब उसे होश आता है तो वह अपने आप को एक कुटिया में बंधा पाता है । फिर उसे याद आता है की यह तकनीक तो उसके पिताजी भी उपयोग करते थे।
फिर वहां सभी लोग आ जाते हैं संवेग के गुरुदेव भी आते हैं फिर महागुरु संवेग के गुरुदेव से पूछता है कि यह तकनीक आप लोग कैसे जानते हैं तब संवेग के गुरु जी कहते हैं यह तकनीक मैंने और मेरे दोस्त ने मिलकर बनाई थी महागुरु उसके दोस्त का नाम पूछता है तब वह कहते हैं कि मेरा दोस्त बहुत ही शक्तिशाली था जिसका नाम था अति अप्पा फिर महागुरु करता है यह तो मेरे पिताजी का नाम है क्या आप मेरे पिताजी को जानते थे तब संवेग के गुरुदेव महागुरु को खोलने की आज्ञा देते हैं और सच बताते हैं कि तुम्हारे पिताजी की हत्या राजा चंडेल ने की।
राजा चंडेल बूढ़ा हो रहा था और कमजोर भी उसे ताकतवर बनना था और जवान भी यहां से चार मील दूर एक टापू पर एक बड़ा पेड़ लगा है उसमें एक गुफा है । उस गुफा में वह औषधि है जिससे कि वह जबान और ताकतवर हो जाए। तो उसने तुम्हारे पिता को ओर उनके साथ कुछ योद्धाओं को भेज दिया । तुम्हारे पिता और मेरे अलावा कोई भी उस गुफा में जिंदा ना रह पाया। जब वह औषधि राजा को दे दी राजा ने उसको 3 दिन पिया । और वह शक्तिशाली बन गया। लोगों को आश्चर्य होने लगा सारे उस औषधि को पाना चाहते थे तो राजा ने उन सारे गवाहों को मार दिया जो की गुफा का रहस्य जानते थे।
अब तुम्हारे पिता और मैं बचा था एक रात को राजा खुद हमारे पास आया और हमें चुनौती देने लगा तब हमारे बीच भयंकर युद्ध हुआ ना वह जीत रहा था ना हम तभी उसने मुझे कमजोर कर दिया तुम्हारे पिता अकेले उस से लड़ रहे थे लेकिन वह ज्यादा शक्तिशाली था तो उसने तुम्हारे पिता को घायल कर दिया मैं भी लड़ने लगा लेकिन तुम्हारे पिता ने मुझे पहाड़ी से नीचे धकेल दिया और खुद मारे गए फिर मैं इन गुफाओं में रहने लगा यदि तुम राजा को मारना चाहते हो तो तुम्हें गुफा से ओषधि लानी होगी पर वहां भी खतरा है। महा गुरु बोला क्या खतरा है।
वहां उसने खतरनाक योद्धाओं को तैनात किया है ताकि कोई भी उस गुफा में प्रवेश ना कर सके। महावीर बोला कुछ भी हो मुझे बदला लेना है इसलिए मैं जाऊंगा तब संवेग भी साथ जाने के लिए कहने लगा। और दोनों साथ चल पड़े।
गुफा मैं प्रवेश करते समय कुछ योद्धा मिले जिन्हें उन दोनों ने मिलकर मार दिया और औषधि ले आए और 3 दिन तक उस औषधि को पिया। फिर वह दोनों भी शक्तिशाली बन गए। और चल पड़े राजा के पास बदला लेने। राजा को भनक भी ना लगी और राजा के सारे सैनिक मारे गए सारे योद्धाओं को मार गिराया । अब राजा की बारी थी राजा महल के ऊपर खड़ा था महागुरु और संवेग भी आ पहुंचे। भयंकर युद्ध होने लगा राजा उन दोनों के सामने टिक नहीं पाया और मारा गया। महागुरु और संवेग ने एक कार्यालय खोला जिसका लक्ष्य बुराई को खत्म करना था ।
इस स्टोरी के पार्ट 2 को देखिए जिसमें महागुरु और संवेग एक बूढ़ी औरत की मदद करने के लिए दूसरी दुनिया में चले जाते है और वहा क्या होता है यह जानने के लिए स्टोरी पढ़िए।
धन्यवाद।
महागुरु और संवेग ( भाग -2 बूढ़ी मा कि मदद)
इस स्टोरी के पार्ट 2 को देखिए जिसमें महागुरु और संवेग एक बूढ़ी औरत की मदद करने के लिए दूसरी दुनिया में चले जाते है और वहा क्या होता है यह जानने के लिए स्टोरी पढ़िए।
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महागुरु और संवेग ( भाग -2 बूढ़ी मा कि मदद)
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It is good write more...
ReplyDeletethankyou bro i will try to write great
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