बेबकूफ बुद्धिमान |
एक सुबह गांव के बीच चबूतरे पर बैठकर सारे सरपंच इस बात पर अड़े थे कि पहले मुर्गी आई या अंडा आया। बहुत बहस छिड़ी हुई थी कोई कहता कि मुर्गी आई पहले तो कुछ कहते कि अंडा आया। तभी प्रतिदिन की तरह महा ज्ञानी वहां से गुजरा। सारे सरपंच बोले देखो महा ज्ञानी जा रहा है चलो उससे पूछते हैं। तभी एक बोला वह तो बेवकूफ है उसकी बात काटते हुए दूसरा बोला तभी तो पूछ रहै है। सारे हंसने लगे और महा ज्ञानी से पूछा कि पहले मुर्गी आई या अंडा। महाज्ञानी बोला आप लोगों के पास इतने सारे मुर्गे मुर्गियां हैं सारे मुझे दे दो मैं कल सुबह आप लोगों को बता दूंगा कि मुर्गी पहले आई या अंडा।
सारे राजी हो गए क्योंकि उन्हें जानना था कि मुर्गी पहले आई या अंडा इसलिए सारे सरपंचों ने अपने-अपने मुर्गे मुर्गियां महा ज्ञानी को दे दिये।
महा ज्ञानी सारे मुर्गीयों लेकर अपने घर चला गया।
सबको एक तबेले में उबालकर बना डाला और सारी मुर्गियों को खा गया। दूसरे दिन पांचों सरपंच चबूतरे पर बैठकर उसका इंतजार कर रहे थे। प्रतिदिन की तरह बाय फिर से गुजरा। सरपंचों ने पूछा की महा ज्ञानी कुछ पता चला कि मुर्गी पहले आई या अंडा।
महा ज्ञानी बोला कि मैंने उनसे बहुत पूछा पर उन्होंने कुछ बताया नहीं। फिर मैंने उनसे कहा की तुम लोगों को सरपंच जी ने कितनी अच्छी शिक्षा दी है कितने लाड़ प्यार से रखा है कितने अच्छे संस्कार दिए हैं पर तुम लोग उनका अपमान कर रहे हो। मैंने उनसे बहुत कुछ कहा और पूछा पर उन्होंने जवाब नहीं दिया। तब मुझे गुस्सा आया मैंने सोचा कि यह तो सरपंच जी का अपमान है इसलिए सब को मार दिया। और अंत में महाज्ञानी ने कहा कि यदि आपके पास और मुर्गे मुर्गियां हूं तो मुझे दे दीजिए हो सके वे मुझे बता दें कि मुर्गी पहले आई या अंडा।
इतना कहकर महा ज्ञानी अपनी राह हो लिया।
सारे सरपंच अपना माथा ठोक कर बैठे रहे।
really.....best thing...it is true don't focus on history.....if no need.
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