एक राज्य था । उसमे ज्यादातर लोग गरीब थे।क्यूंकि वहां राजा के कठोर कानून चलते थे।वह किसानों से ज्यादा कर (टैक्स) वसूलता था। उस राज्य में एक चोरी कि टोली थी। उसमे बहुत चोर थे। उन्हीं में एक चोर था आनंद । वह बहुत दयालु और गरीबों का भला करने वाला था। क्यूंकि वह गरीब लोगो में ही पला था।
उसी टोली में एक ओर चोर था जो आनंद से जलता था।बस्का एक चला भी था जो हमेशा उसकी चापलूसी करता रहता था।
उस टोली का उसूल यहां था कि वह लोग अमीरों और भ्रष्टाचारियों को लुटते थे और गरीबों में बांटते थे।
टोली के सरदार का प्रिय था आनंद क्यूंकि वह बहुत ही होशियार था। पर कुछ लोगो को यह बात खटकती थी। इसलिए वह हमेशा आनंद को पकड़वाने कि ताक में रहते थे ।
पर आनंद अपनी चतुराई से हमेशा बच निकलता था।
हर बार की तरह इस बार भी किसानों की फसल अच्छी हुई। क्यूंकि बेचारे बहुत मेहनत करते थे। पर हर बार आधी फसल राजकोष में चली जाती थी।
किसानों ने अपनी अपनी फसल काटी। और अगले दिन सैनिक भी कर वसूलने आ गए।
गरीब किसानो ने जैसे तैसे कर कि रकम अदा की।
आनंद घूमते घूमते गरीबों की बस्ती में पहुंचा। तो देखा सब लोग दुखी है। वह समझ गया कि जरूर सैनिक कर वसूलने आए हो गए।
वह लोगो को दुखी देखना नहीं चाहता था इसलिए उसने सोचा कि वह महल में चोरी करेगा और किसानों का धन वापस लाएगा।
अगले दिन आनंद ने सैनिक का भेष बनाया और महल की ओर चल दिया।
वहां द्वारपालो ने रोका और पूछा कौन हो और कहा जा रहे हो।
आनंद ने गुस्से में जवाब दिया चोर हूं और चोरी करने जा रहा हूं।
द्वारपालो ने उसकी भेष भूषा देखी । उन्होंने कहा गुस्सा क्यों होते हो भाई पूछा ही तो था। चले जाओ।
आनंद महल में से कीमती वस्तुओं को चुरा लिया और वापस लौटने लगा जब मैं लौट रहा था तो द्वारपालों ने कुछ नहीं कहा क्योंकि उन्हें पता था यह गुस्सैल आदमी है इससे कुछ भी पूछेंगे यह तेरे जवाब देगा।
आनंद गांव में आया और धन को लोगों में बांट दिया लोग काफी खुश थे । पर एक चोर जो आनंद से जलता था वह खुश नहीं था उसने सोचा कि यह कैसे हो सकता है आनंद महल में चोरी कैसे कर सकता है वह भी इतना सख्त पहरा होने के बावजूद।
तब चोरों के सरदार ने आनंद से पूछा कि महल में तुमने चोरी कैसे की तब आनंद सारा हाल कह सुनाया।
महल में चोरी का पता लग चुका था इसलिए वहां पहले की और शक्ति कर दी गई और आदेश आया कि कोई भी महल से बाहर जाए उसकी अच्छी तरह तलाशी ली जाए।
आनंद से जलने वाला चोर अपने चेले के साथ महल में चोरी की तैयारी कर रहा था वह भी सैनिक का वेश धारण कर महल में चला द्वारपालों ने उसे नहीं टोका जून के बाद सैनिक का रूप बनाए हुए था।
उसने महल में बहुत सॉरी जी बहुत सारा सामान लाद लिया।
और पोटली को उठाकर वापस आने लगा द्वारपालों ने पूछा इसमें क्या है उसने कहा महाराज के कपड़े हैं। द्वारपालों ने कहा दिखाओ। तब तो उस चोर की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। पकड़े जाने के डर से मैं भागने लगा लेकिन पहरा सख्त होने के कारण विभाग न सका चोर को राजा के पास ले गए।
राजा को सारा हाल पता चला कि चोरी इसी ने की तब द्वारपालों ने कहा कि महाराज पहली चोरी भी शायद इसी ने की होगी। राजा कठोर तथा ही उसने उन दोनों को जेल में डाल दिया।