Friday 10 January 2020

चंद्रप्रकाश (परीक्षा में अव्वल कोन)

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परीक्षा में अव्वल कोन



शहर कि चमक धमक से दूर  सुनसान जगह पर एक गांव था। गांव में सीधे-साधे लोग रहते थे उनका एक ही काम था सुबह से शाम तक किसानी करना। गांव से बाहर अलग एक घर था वहां एक परिवार रहता था। मैं परिवार बहुत ही गरीब था उस परिवार में पति पत्नी और एक बच्चा था। दोनों पति-पत्नी ने सोचा कि हम लोग गरीब हैं और हम अपने बच्चे को नहीं रहने देंगे इसलिए उन्होंने बच्चे के मामा के घर भेज दिया जो कि शहर में था।
उस बच्चे का नाम चंदू था मामा ने उसका एडमिशन एक स्कूल में कराया स्कूल में उसका नाम चंद्रप्रकाश था। चंद्रप्रकाश जब स्कूल गया। तो उसे बच्चों ने बहुत परेशान किया। कुछ बच्चों ने तो उसे मारा भी। चंद्रप्रकाश बहुत ही सांत स्वभाव का था। कुछ दिन बीते और कक्षा में कोंन कितनी पढ़ाई करता है यह जानने के लिए टीचरों ने परीक्षा रखी।
तभी कुछ शैतान बच्चे पेपर चुराने की सोच रहे थे। चंद्रप्रकाश उनकी योजना समझ गया था इसलिए उसने सोचा कि इन बच्चों से दोस्ती करने का यह सही अवसर है। चंद्रप्रकाश और उन बच्चों ने मिलकर पेपर चुरा लिया पर चंद्रप्रकाश ने बैक पेपर नहीं लिया क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और ही था। जब शिक्षकों को यह पता चला कि पेपर बच्चों को मिल चुका है तो उन्होंने बच्चों से कुछ नहीं कहा क्योंकि बच्चे बहुत सारे थे पर शिक्षकों को अब नया पेपर बनाना था उनको फंसाने के लिए लेकिन समय कम होने के कारण टीचर ने पिछली साल हुए पेपर को बच्चों के लिए चुन लिया। परीक्षा शुरू हुई सारे बच्चे खुश थे कि हम तो पेपर सब पढ़ कर आए हैं पर जैसे ही पेपर सामने आया तो सारे बच्चों के होश उड़ गए सारे एक दूसरे को देख रहे थे एक ने तो शिक्षक से ही कह दिया कि शिक्षक यह पेपर नहीं है यह तो दूसरा पेपर है शिक्षक ने कहा बच्चे यही है तुम्हारा पेपर इसे ही करना है। फिर क्या था सबके मुंह लटके। जैसे-तैसे एकाद प्रश्न किया होगा किसी ने और समय हो गया।
अगले दिन परिणाम आया और शिक्षक ने पीछे से चंद्र प्रकाश को उठाया सारे सोचने लगे कि शिक्षक को पता चल चुका है की पेपर किसने चुराया। पर शिक्षक ने चंद्र प्रकाश की तारीफ करते हुए कहा यह बच्चा बहुत ही होशियार है पूरी कक्षा में इसी ने अब्बल किया है। इतना सुनते ही सारे बच्चे  हक्के बक्के रह गए।
कक्षा खत्म होते ही सारे बच्चे चंद्रप्रकाश के पास आए और उससे पूछा कि तुम पास कैसे हो गए तब चंद्रप्रकाश ने बताया कि शिक्षक को पता चल गया था कि हम लोगों ने पेपर चुरा लिया है और समय भी कम बचाता पेपर बनाने के लिए। इसलिए मुझे पता था कि शिक्षक बने बनाए पेपर को ही देंगे और ऐसा ही किया उन्होंने पिछले पेपर को दे दिया। मैंने पिछला पेपर पूरा हल किया था इसलिए मैंने यहां पर भी पूरा हल कर दिया। इस प्रकार से चंद्रप्रकाश  शिक्षकों की नजर में  अच्छा स्वभाव वाला और विद्वान विद्यार्थी बन गया।



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