नकली साधु ( बेबकुफ़ बुद्धिमान ) - nakali sadhu ( bewakoof buddhiman )
बहुत दिनों बाद रामनगर में दो साधु आए। साधु इतने तपस्वी लग रहे थे मानो स्वयं भगवान साधु का भेष बनाकर आ गए हो।
अब गाव में तो सारे भक्त ही रहते है। इसलिए गांव वालो ने जैसे ही साधु महाराज को देखा उनका स्वागत करने लगे।
धीरे धीरे यह बात सबको पता चली कि गांव में साधु महाराज आए है। गांव के पांचों को भी पता चली तो उन्होंने साधु महाराज के ठहरने की व्यवस्था गाब में ही करवा दी।
और उन्होंने साधु महाराज से कहा कि महाराज आप हमारे दुख दूर कर दीजिए । हम सब आपके कहने पर चलेंगे।
साधु ने कहा - gaav में लोगो को इकठ्ठा करो। कल हम अपनी शक्तियों का परिचय गांव वालो को देंगे जिससे उन्हें विश्वास हो जायेगा की हमें भगवन ने भेजा है, इस गांव का उध्दार करने।
अब गाव में तो सारे भक्त ही रहते है। इसलिए गांव वालो ने जैसे ही साधु महाराज को देखा उनका स्वागत करने लगे।
धीरे धीरे यह बात सबको पता चली कि गांव में साधु महाराज आए है। गांव के पांचों को भी पता चली तो उन्होंने साधु महाराज के ठहरने की व्यवस्था गाब में ही करवा दी।
और उन्होंने साधु महाराज से कहा कि महाराज आप हमारे दुख दूर कर दीजिए । हम सब आपके कहने पर चलेंगे।
साधु ने कहा - gaav में लोगो को इकठ्ठा करो। कल हम अपनी शक्तियों का परिचय गांव वालो को देंगे जिससे उन्हें विश्वास हो जायेगा की हमें भगवन ने भेजा है, इस गांव का उध्दार करने।
पांचो ने कहा जैसा आप चाहे महाराज।
इतना कह पांचो सरपच चले गए।
अब दोनों साधु सोचने लगे की गांव वालो को कैसे उल्लू बनाया जाए।
फिर एक साधु को एक विचार आया। उसने दूसरे साधु से कहा की गांव के एक आदमी को पकड़ो और उसे लालच दो। ताकि वो वैसा ही करे जैसा हम कहे।
दूसरे साधु ने गांव के एक लालची आदमी को अपनी बातो में फसा लिया।
और अब दोनों साधु अपनी योजना बनाने लगे।
दोनों साधु ने बहुत सोचा की कैसे गांव वालो को अपनी शक्तियाँ दिखाए।
तभी वो आदमी बोलै साधु महाराज में आपको एक योजना बता सकता हु यदि आप चाहे तो।
तब दोनों साधुओ ने कहा की बताओ तुम क्या कहना चाहते हो।
महाराज गांव वाले जमीन और संपत्ति से तो अमीर होते है। पैर उनके पास पैसे बहुत काम होते है।
क्यों न गांव के किसी आदमी को अमीर बनादे आप अपने जादू से।
तभी दोनों साधु बोले हाँ ये अच्चा विचार है।
अपने आप को होशियार बताते हुए दोनों साधु बोले तभी तो तुम्हे बुलाया है हमने हमारे दिमाग में भी यही विचार चल रहा था।
फिर उस लालची आदमी ने कहा महाराज में सभी लोगो में जाके बेथ जाऊंगा।
और आप फिर बोलना की आज हम दोनों एक आदमी को अमीर बनायेंगे। फिर तो सारे लोग आपके गुलाम हो जायेंगे।
ठीक है कल हम इस योजना को कार्यान्वित करेंगे।
फिर रात को दोनों साढ़ू सो गए।
और सुबह जब सरपंच आये तो उनसे साधुओ ने कहा की हमें आपसे कुछ धन चाहिए। जिसके द्वारा हम पूजा करके आपको और अमीर बना देंगे।
सरपंचो ने धन दे दिया।
फिर साधुओ ने धन को १ मटकी में रखके उसे उस लालची आदमी को दे दिया।
फिर दूसरे दिन सरपंचो ने सभा बुलाई ताकि साधुओ की शक्तियों का परिचय करवा सके।
सारे गांव वाले आ गए।
साधुओं ने कहा आज हम दोनों साधु इस गांव के एक व्यक्ति को अमीर बना देंगे।
तो सब लोग कहने लगे साधु महाराज हमें अमीर बना दीजिये।
फिर उन्ही लोगो में से वो लालची आदमी उठा और बोलै ये दोनों साधु पाखंडी है ये किसी को अमीर नहीं बना सकते।
यदि इनमे दम है तो मुझे अमीर बना के दिखाए।
साधुओ ने एक दूसरे की तरफ इशारा करते हुए कहा की ये तो वाकई अपने काम का आदमी निकला। इसने इस तरह बोला की किसी को कोई शक ही नहीं होगा की वो हमसे मिला हुआ है।
सरपंचो ने भी एक दुसरे की तरफ इशारा करते हुए बोलै की महाज्ञानी जरूर कुछ गड़बड़ करेगा।
( जी हाँ दोस्तों वो लालची आदमी महाज्ञानी ही था। यदि आप महाज्ञानी को नहीं जानते तो ये स्टोरी पड़े आपको सब समझ आ जायगा।)
साधुओ ने कहा सब घर जाओ और कहा की कल इस ये आदमी बहुत अमीर बन जाएगा।
सब घर चले गए।
दूसरे दिन फिर सभा बुलाई। और महाज्ञानी को भी बुलाया। और उससे पुछा तुम या नहीं।
तो फिर महाज्ञानी बोलै महाराज में पहले भी गरीब था आज भी गरीब हूँ।
दोनों साधु बोले ये क्या बोल रहे हो तुम।
महाज्ञानी - हाँ महाराज में सच बोल रहा हूँ। में अमीर नहीं बना।
साधुओ ने महाज्ञानी को पास बुलाया और बोलै की ये तुम क्या बोल रहे हो।
तब महाज्ञानी बोला की साधु महाराज ये में इसलिए बोल रहा हु क्यूंकि जब में आपसे पैसे लेकर जा रहा था तो दो चोरो ने मुझसे पैसे छीन लिए।
साधु ने कहा - की अब क्या करे।
महाज्ञानी बोला - साधु महाराज मेरे पास एक तरकीब है।
आप जनता से कहे की हमने आपके गांव के पांचो सरपंच को अमीर बना दिया है।
दोनों साधुओ ने बोला।
सरपंचो ने कहा अरे महाराज हम तो पहले जितने ही अमीर है।
तब साधुओ ने कहा की तुम अपने खेलो में खुदाई करवाओ। और फिर तुम्हे सोने से भरा घड़ा मिलेगा। तब तो सरपंचो ने साधुओं की बात मान ली।
सब लोग साधुओं की जय जयकार करने लगे।
और सरपंचो ने साधुओं को थोड़ा धन दिया। फिर साधु लोग उस गांव को छोड़कर चले गए।
क्यूंकि वो पाखंडी थे। यदि पकडे जाते तो ये धन भी जाता और पिटाई भी होती। इसलिए उन लोगो ने वह से रफू चक्कर होना ही सही समझा।
सरपंचो ने खुदाई करवाई पर किसी के भी खेत से कुछ नहीं मिला।
तब उन्हें शक हुआ की महाज्ञानी की शायद ये महाज्ञानी की चाल थी।
पांचो पंच महाज्ञानी के घर गए तो देखा उसने अछ्छा घर बना लिया है।
पांचो को देखकर महाज्ञानी समझ गया की वो लोग क्यों आये है।
उनके बोलने से पहले ही वो बोला ये उसी की चाल थी। वो कोई साधु नहीं थे। महाज्ञानी के दोस्त थे। उन्हें महाज्ञानी ने ही बुलाया था।
क्यूंकि गांव में पानी की समस्या हो जाती थी। जिससे गांव वालो की फसल को पानी नहीं मिल पाता था। और ज्यादा अनाज पैदा नहीं होता था।
पैर अब पांचो ने तालाब बनवा दिए है १२ महीने पानी भरा रहता है। और उसी को इस्तेमाल करके गांव वाले अछछी फसल ऊगा लेते है।
महाज्ञानी बोलाऔर - और वैसे भी आपके पास तो बहुत सारे खेत हैं। एक बना दिया तो क्या हुआ।
पंचो को खुद पर बड़ी शर्म आ रही थी। क्यूंकि वो लोग पंच होकर भी गांव की भलाई सोचते थे।
पर वाक्ये के बाद पंच लोगो ने महाज्ञानी को सरपंच बना दिया।
दोस्तों कैसी लगी ये कहानी हमें कमेंट जरूर बताएं। में ये कहानियाँ खुद लिखता हूँ।
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धन्यवाद।