Friday 10 April 2020

राज योद्धा (भाग 2 - राज योद्धा की मौत ) Raj Yodha

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असपुरी का राजा भस्मदेव ऊरी बेला पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था। क्यूंकि उरी बेला में इस समय कोई भी राज योद्धा नहीं था । 
राजा ने कलिंगा से कहा - राज योद्धा बनने के लिए राजवीर रणवीर और विक्रांत तैयार नहीं है
कलिंगा - महाराज उनका प्रशिक्षण पूरा हो चुका है अब उन पर निर्भर करता है कि वह तीनों केसे उस योग्यता का प्रयोग करते हैं इसलिए हमें राज योद्धा चुनना होगा।

( राज योद्धा बनने वाले प्रतियोगियों को एक सुरंग में जाना पड़ता था जो कि प्रथम राज्य द्वारा बनाई गई थी । उस गुफा में जो भी जाता वह मर जाता पर  जो बच जाता वह ओर भी शक्तिशाली बन जाता और उसे राज योद्धा बना देते थे । )

राजा - हम दोनों राजकुमारों को उस गुफा में नहीं भेज सकते इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मुझे बताओ कि मैं किसे भेजूं।
कलिंगा - महाराज मैं चाहता हूं कि विक्रांत और राजवीर को भेज दिया जाए क्योंकि दोनों बड़े होशियार हैं और फिर मैंने भी तो उन्हें प्रशिक्षित किया है रणवीर छोटा है और वह गुस्सैल भी है।

राजा - ठीक है आयोजन की तैयारी की जाए।
आयोजन शुरू हुआ।
राजवीर और विक्रांत गुफा में गए दोनों अलग-अलग मार्ग में चले गए राजवीर जैसे ही अंदर गया उसने देखा कि कई नर कंकाल पड़े हुए हैं। जिससे वह डर गया और वापस लौटना चाहा पर देखा की गुफा का द्वार स्वत: ही बंद हो गया फिर उसने सोचा में अब यहां फस चुका हूं क्यों ना डर को त्याग के आगे बढ़ना चाहिए।  राजवीर आगे बढ़ा उसने माया के बने हुए दृश्य देखे। अचानक एक आवाज आई और वह डरकर दीवार से चिपक गया तभी देखा कि हजारों तीर उसके बाजू से निकल कर चले गए यदि वह डरकर दीवार से नहीं टिकता तो वह सारे तीर राजवीर को छेद देते । राजवीर और आगे बढ़ा उसने देखा कि वहां बहुत सारे हीरे जवाहरात और कई रत्न पड़े हुए हैं । और एक छोटा कुंड बना हुआ था जिसमें जल भरा हुआ था और बीच में एक खंभा था जिस पर एक दंड रखा हुआ था दंड के बीच में एक बड़ा सा मोती जड़ा हुआ था उसने किसी भी चीज को नहीं छुआ क्योंकि कलिंगा ने मना किया था कि यह सारी चीजे माया की बनी हुई है  । यदि उन्हें लेने कि कोशिश करोगे तो मारे जाओगे। इस कारण से राजवीर ने किसी भी चीज को हाथ नहीं लगाया और आगे बढ़ा। आगे बढ़ते बढ़ते उसने बड़ी ही कठिनाइयों को पार किया और वह गुफा से बाहर निकल गया।
राजवीर को देखकर राजा बहुत खुश हुआ उसने कलिंगा से कहा बधाई हो हमें नया राज योद्धा मिल गया।
कलिंगा - महाराज रुकिए अभी विक्रांत नहीं आया है ।उसका हम इंतजार कर लेते हैं ।
राजा - ठीक है।
उधर विक्रांत अभी भी गुफा में ही फंसा हुआ था उसे माया लुभा रही थी और ना ही उसे बाहर निकलने के लिए द्वार मिल रहा था। पूरा दिन बीत गया वह अंदर गुफा में कठिनाइयों से लड़ते हुए गुफा का द्वार खोज रहा था। तभी उसे वह कुंड दिखा जिसके बीच में खंबा था और उस खंभे पर एक डंड रखा था जिसमें एक बड़ा सा मोती जड़ा हुआ था विक्रांत को बड़ी प्यास लग रही थी उसने सोचा यदि द्वार नहीं मिला तो मुझे मरना ही है और वैसे भी मैं अभी प्यास के मारे मरा जा रहा हूं इसलिए मुझे यह पानी पीना ही होगा उसने कुंड का पानी पी लिया उसने जैसे ही कुंड का पानी पिया उसके होश ठिकाने ना रहे उसे ऐसा लगा कि मैं मरने वाला हूं । पर वह अपने को संभालते हुए किसी कोने में ले गया। और वहां वह बेहोश हो गया। सुरंग का एक नियम था  उसमें हर एक समय अंतराल पर तीरो की वर्षा होती है फिर से लाखों 3 बरस गए लेकिन विक्रांत कोने में था इसलिए बचा जब उसे होश आया तो उसने अपने आप को जीवित पाया उठकर द्वार की तलाश में निकल पड़ा तभी ऊपर से एक पत्थर विक्रांत के ऊपर गिरा पर विक्रांत इतनी तेजी से तुरंत दूसरी ओर हट गया विक्रांत को आश्चर्य हुआ कि वह इतना तेज कैसे हो गया। और आगे चलता रहा।  उसने द्वार खोज निकाला।

राजा ने और राज कर्मचारियों ने उसे जीवित देखकर बड़े प्रसन्न हुए जनता भी विक्रांत के जय-जयकार करने लगे।
राजा ने कलिंगा से कहा - कलिंगा विधि-विधान द्वारा राज्य का राज योद्धा को चुन लिया जाए।
इतना सुनते ही कलिंगा ने अपने पास खड़े सैनिक से धनुष बाण लिए और एक साथ दोनों पर छोड़ दिया देखा कि राजवीर के कंधे पर तीर घुस गया और विक्रांत ने उस पर आए तीर को पकड़ लिया।
राजा ने राजवीर को देखा उसके कंधे पर तीर घुस गया और विक्रांत को देखा तो वह आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि उसने तीर को पकड़ लिया था।
कलिंगा - महाराज हमारे नए राज योद्धा विक्रांत हैं।
लोग इतना सुनते ही विक्रांत की जय-जयकार करने लगे।
राजवीर को इलाज के लिए के गए।

वहीं दूसरी और रात होते हैं उत्तम कारागार में ऊंचाई पर लगी खिड़की से कूदकर भाग निकला भागते भागते वह महल में छुपते छुपाते एक रास्ते से गुजरा और अचानक वह की सतह अंदर धंस गई और उत्तम नीचे जा गिरा वह वही द्वार था जहां से राज योद्धाओं को सुरंग में भेजा जाता था उत्तम ने निकलने का बहुत प्रयास किया पर जहां से वह गिरा था वह बहुत ऊंचाई पर था इस कारण से  वहां से नहीं निकल पाया और द्वार भी बंद हो  गया ।  उसने सोचा की यहां से बाहर निकलने का दूसरा रास्ता होगा इसलिए वह नीचे अंदर ही आगे बढ़ा उसने देखा कि बहुत सारे अमूल्य वस्तुएं रखी है ।
उसने मन ही मन सोचा कि यह जरूर राज कोश है यहां की थोड़ी सी चीज जो मुझे मालामाल कर सकती है।
उसने हीरे मोतियों को लेना चाहा परंतु जोर की आवाज आई और एका एक तीर चलने लगे चूंकि उत्तम चोर था इसलिए वह आवाज सुनते ही दीवार से चिपक गया यह उसकी आदत थी।
उसने देखा हजारों तीनों की वर्षा हो गई और मैं बाल-बाल बचा।
वह समझ गया कि यहां जाल बिछा हुआ है इसलिए उसने किसी भी चीज को नहीं छुआ और वह आगे बढ़ने लगा उसने देखा एक  कुंड है जिसके बीच में एक खंभा है उस पर एक दंड रखा हुआ है जिसमें एक बड़ा सा सुंदर और अद्भुत मोती जड़ा हुआ था।
उत्तम ने एक छलांग लगाई और खंबे पर जा चिपका।
और सरक सरक कर ऊपर चढ़ गया ऊपर उसने डंडे को उखाड़ना चाहा पर वह बहुत समय से रखा हुआ था जिस कारण से उसके आसपास बहुत ही मोटी परत जम गई थी पर मोती अद्भुत किरने बिखेर रहा था जिसके कारण उसके आसपास कुछ भी नहीं चिपका हुआ था। उसमें दंड को बहुत  निकालने की कोशिश की पर वह निकाल नहीं सका फिर उसने सोचा यह दंड तो निकलने वाला नहीं क्यों ना इस मोती को ही निकाल लिया जाए और उसने एक चाकू से मोती को निकाल लिया और पोटली में रखकर नीचे आ गया।
उसे अपने पोटली में से एक शीशी निकाली और उसमें पानी भर लिया और आगे बढ़ चला आगे बढ़ा उसने बहुत रास्ता खोजा बहुत दूर निकल गया उसे प्यास लगी एक कोने में जाकर वह आराम से बैठ गया और पानी पीकर सो गया। उठा तो सिर में उसके हल्के हल्के दर्द हो रहा था यह पानी का ही असर था। उत्तम थोड़े और आगे बढ़ा फिर से तीरों की वर्षा हुई पर वह फुर्ती से कोने में जा पहुंचा। उसे एक द्वार दिखाई दिया और वहां से वह एक जंगल में निकल गया जंगल से वापस अपने घर आ रहा था कि सैनिकों ने उसे देख लिया और चोर चोर चिल्लाते हुए उसके पीछे पड़ गए उत्तम बचते बचाते अपने घर आ पहुंचा और जल्दी से उसने अपने सामान की पोटली बांधी और दूसरे राज्य में जाने के लिए तैयार हो गया क्यूंकि इस राज्य में मैं सुरक्षित नहीं था।
कुछ देर बाद मैं उरी बेला राज्य से निकल गया 3 दिन पश्चात चलते चलते वह दूसरे राज्य अरिष्ट पुर में पहुंचा।
लंबी यात्रा के कारण उसे भूख लग रही थी और थकान भी हो रही थी। इसलिए उसने वहां के भोजनालय में खाना खाया और सो गया विश्राम करके उसे अच्छा महसूस हो रहा था उसने अपनी पोटली खोली और उसने पुस्तक के पास देखा कि  एक मोती पड़ा हुआ है उसे याद नहीं था कि वह कहां से आया क्योंकि गुफा के अंदर का रहस्य सब भूल जाते थे।
उसने सोचा क्या पता यह कहां से आया लेकिन शायद इसका सुराग इस पुस्तक में मिले इसलिए उसने पुस्तक खोली है वहां ढूंढना शुरू किया क्योंकि जब रमन राज गुफा में गए तो वह पुस्तक लेकर गया था और उसने गुफा में को भी हुए था उस उस पुस्तक में लिख दिया था। उत्तम ने उस पुस्तक में पड़ा कि वह मोती किसी डंडे में जड़ा हुआ था और उसने सुना भी था कि उरी वेला राज्य के प्रथम योद्धा के पास एक ऐसा शक्तिशाली दंड था जो कि उड़ भी सकता था और वह गति तेज प्राप्त करता तो आग जलने लगती थी।
उस ने अरिष्ट पुर में घूमते घूमते एक जगह ढूंढ़ निकाली जहां तलवार और कवच बनते थे।
उसने वहां के मालिक से कहा मुझे एक हथियार बनवाना है।
वहां के मालिक ने कहा कि कैसा शस्त्र बनवाना है
वहां का मालिक बोला -  हमे बताएं आपको किस प्रकार का शस्त्र बनवाना है।
उत्तम - मुझे एक डंड बनवाना है यदि हम चाहें तो उसके दोनों ओर से नुकीली तलवारे निकल जाएं और वापस अंदर भी हो जाएं उस दंड के बीच में मुझे एक मोती भी जुड़वाना है।
इतना कहकर वह चला गया।
दूसरे दिन उत्तम फिर उस दुकान पर गया तो दुकान के मालिक ने उसे वह दंड बनाकर दे दिया वह डंड बिल्कुल वैसा ही बना हुआ था जैसा उत्तम चाहता था।
उसने दुकानदार को कुछ मुद्राएं ज्यादा दे दी। और वहां से चला आया  उस दंड में वह मोती उसने लगा लिया।
और उस दंड से वह अभ्यास करने लगा पर देखा कि उसमें कोई भी शक्ति नहीं थी उसने बहुत कोशिश की दंड को घुमाने की पर उसमे आग नहीं जली उसने सोचा यह तो एक बेकार निकला।
और उसने उस दंड को इतनी ऊपर उछाला कि वह जाकर उरीबेला की सीमा पर जा गिरा।

उत्तम अरिष्ट पुर की पहाड़ियों से नजारा देख रहा था लगा तभी उसने देखा हजारों सैनिक  उरिबेला राज्य की ओर चले जा रहे हैं  वह समझ गया कि उरीबेला राज्य पर आक्रमण होने जा रहा है।
उसके दिल में उन लोगों के लिए बहुत प्यार था जहां वह रहता था इसलिए वह दुखी था कि उरी बेला पर आक्रमण हुआ तो सब नष्ट हो जाएगा।

और उरी बेला में

राजा - कलिंगा यदि तुम ठीक होते तो कोई भी हम पर आक्रमण करने की नहीं सोचता।
कलिंगा - महाराज ऐसा न सोचिए विक्रांत सब कुछ संभाल लेगा।

विक्रांत अपनी सेना के साथ अपने राज्य को बचाने के लिए रवाना हो गया।
रणभूमि में पहुंचते ही उसने देखा कि  भस्म देव  की सेना बहुत बज्यादा थी और उसमे सैनिक बहुत हट करते थे। इसलिए वह थोड़ा डर गया पर उसे यकीन था कि वह अपने राज्य को बचा लेगा। और साहस से आक्रमण बोल दिया। उरी बेला की सेना ने बहुत प्रयास किया कि वह सबको हरा दे।
पर विपक्ष की सेना भारी पड़ गई क्योंकि वह संख्या में बहुत अधिक थे और बिल्कुल दानव जैसे दिख रहे थे। वहां भस्म देव ने विक्रांत पर आक्रमण बोल दिया।  विक्रांत भस्म देव  को कड़ी चुनौती दे रहा था पर।

raj yodha


भस्म देव के पास शक्तिशाली तलवार थी।जिसमे भी मोती जड़ा हुआ था। और उस तलवार के कारण भस्म देव विक्रांत को हराने लगा।
और भस्म देव विक्रांत के सीने ने में तलवार घुसा दी।
विक्रांत दर्द से तड़प रहा था वह भागा और उसे वह दंड दिखा जो उत्तम में फेंका था उसको उठा लिया अब उसके सामने कोई चारा नहीं था क्योंकि वह भाग कर जाता भी कहा इसलिए उसे लड़ना ही था उत्तम को दूर से स्पष्ट नहीं दिख रहा था ।

विक्रांत ने जब डंड घुमाया तो उसमें आग जलने लगी। उसने लड़ाई शुरू की पर दूसरे ही क्षण आग बुझ गई क्योंकि विक्रांत के सीने में एक तीर आ घुसा जिससे वह शांत पड़ गया। उसे उस डंड की शक्ति का आभास हो गया था उसने सोचा मैं तो मर ही रहा हूं यदि यह डंड भस्म देव के  हाथ लग गया तो यह सारी दुनिया पर अपना राज्य करेगा।  इसलिए उसने उस डंड को दूर फेंक दिया। डंड हवा में उड़ रहा था तो उसमें आग जलने लगी और डंड बहुत  दूर जाकर गिरा। उत्तम ने  पहाड़ से उसको देख कर तुरंत पुस्तक में उस जगह का दृश्य बना लिया जहां से उसने डंड को जाते देखा।

उरिबेला राज्य के राजा को मार दिया गया चूंकि कलिंगा भी बूढ़ा हो चुका था इसलिए वह भी लड़ कर मर गया।
अब बच्चे थे राजवीर और रणवीर क्योंकि राजवीर के ऊपर सारा दायित्व था इसलिए वह अकेला लड़ रहा था और अपने भाई रणबीर को बहन रत्ना के साथ जाने के लिए कह दिया।
रणवीर अपनी बहन के साथ वहां से निकल गया ।



 दूर पहाड़ी से देखा कि सारा राज्य तबाह हो चुका था। हर कहीं आग लगी हुई थी।  बड़ा ही भयानक मंजर था।


क्या रणवीर अपने परिजनों का बदला लेगा और क्या उत्तम भी अपने राज्य के लिए कुछ करेगा ?

यह जानने के लिए देखते रहिए राज योद्धा  सीरीज (Raj yodha Series) 

अगला भाग जल्द आएगा ।

धन्यवाद।




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