इंस्पेक्टर रवि को पुरस्कार तो मिलता है साथ में उसका ट्रांसफर एक ऐसे गांव में हो जाता है जहां बहुत बड़ी मुसीबत थी । हुआ यह की रवि का ट्रांसफर सत्पुर में हुआ जहां जाने को वह तैयार हुआ। दूसरे दिन रवि सत्पुर कि और चल दिया वहा पहुंचा तो देखा पुलिस स्टेशन में एक हवलदार सो रहा था ।
रवि ने उसे उठाया । और पूछा क्या इस गांव में एक तुम ही पुलिस वाले हो ।उसने कहा नहीं और भी है पर वो लोग यहां आते नहीं । क्यों नहीं आते रवि ने पूछा ।
तब उस हवलदार ने बताया कि यहां चन्द्रकला का राज चलता है उससे सारा गांव डरता है।
खास कर वह पुलिस वालो को नहीं छोड़ती।
रवि - फिर तुम क्यों नहीं भागे ।
हवलदार गोपीलाल - साहब में अपना परिवार इसी से पालता हूं।
रवि - यहां कोई सरपंच है।
गोपिलाल - है ना पर नाम के।
रवि - ठीक है चन्द्रकला को बाद में देखेंगे पहले मुझे बहुत है भूख लगी खाना खाते है।
एक बड़ा सा डिब्बा निकलता है और उसे खोलकर खाना खाता है और गोपी को भी देता है।
खाना खाने के बाद
रवि - अब मुझे चन्द्रकला के बारे में कुछ बताओ वो रहती कहां है और लोग इतने डरते क्यों है।।
गोपीलाल - सर हवेली के पास कोई भी नहीं भटकता।
रवि - चलो उसके गुणगान गाना बंद करो।
चलो गांव में चलते है।
दोनों गांव में घूमते है।
गांव वाले रवि कि तरफ देखते है और कहते है चार दिन का महमान है या तो अपने घर जाएगा या चन्द्रकला के ।
गोपीलाल - साहब यहां दो इंस्पेक्टर आये थे दोनों चंद्रकला के हाथो मारे गए।
रवि - ठीक है जिनको जाना था वो चले गए में तो यहां छुट्टियां मैंने आया हूं।
दोनों ने गांव घूमा और पुलिस स्टेशन आए।
शाम होने लगी थी गोपीलाल ने इंस्पेक्टर रवि से कहा साहब अब में घर जा रहा हूं।
इंस्पेक्टर रवि - इतनी जल्दी।
गोपीलाल - सर रात होने वाली है चन्द्रकला गांव में घूमेगी। वह किसीको भी उठा ले जाती है।
इतना कह गोपीलाल घर चला।
रवि ने सोचा मुझे तो 10 आदमी ना हरा पाएं एक औरत क्या हराएगी।
और वही पुलिस स्टेशन में ही सो गया।
आधी रात में खिड़की खुली।
रवि उठा देखा कोई भी नहीं है और ना ही हवा चल रही है। फिर अजीब अजीब सी आवाजें आने लगी।
दरवाजा खुला और एक औरत रवि के पास आयी उसका चेहरा ढका था।
रवि - तुम कोन हो। इतनी रात यहां क्या कर रही हो।घर जाओ और आगे से बाहर मत निकालना रात में कुछ भी हो सकता है । सुना है कि रात में चन्द्रकला लोगो को उठा ले जाती है।
तभी वो औरत घुंगटा उठाती है। बिल्कुल डरावना चाहता था।
रवि डरता नहीं वह कहता है कि अच्छा तो इस गांव में लोग डराते भी है। रवि एक थप्पड़ लगता है।
चल घर जा ।
चन्द्रकला घर चली जाती है।
इंस्पेक्टर रवि सो जाता है।
सुबह होती है तो देखता है गोपीलाल चाय लेके इंस्पेक्टर रवि के पास खड़ा होता है। रवि चाय पीते पीते ।
गोपीलाल कल एक औरत यहां आई थी । मुझे डरा रही थी मैने उसको एक थप्पड़ लगाया वह वापस चली गई।
गोपीलाल - साहब चाय से आपको नशा होता है क्या।
इंस्पेक्टर रवि - क्या मतलब
गोपीलाल - साहब ऐसी बात करोगे तो ऐसा ही बोलूंगा ना ।
सर वो पक्का चंद्रकला होगी।
अब वो आपको नहीं छोड़ेगी।
इंस्पेक्टर रवि - कोई बात नहीं आज से तुम भी पुलिस स्टेशन में सोना।
गोपीलाल - साहब मेरे छोटे छोटे बच्चे है। यदि चन्द्रकला मुझे उठा ले गई तो मेरे परिवार का क्या होगा।
इंस्पेक्टर रवि - तुम फिक्र मत करो। तुम्हारा पेट इतना निकला है कि तुम्हे कोई नहीं ले जाना चाहेगा।
दिन भर दोनों ने मोज करी।
गोपीलाल - साहब में घर जा रहा हूं समय हो गया।
इंस्पेक्टर रवि - भूल गए मैने सुबह कुछ कहा था।
गोपीलाल - साहब में भूल गया आप भी भूल जाओ।
इंस्पेक्टर रवि - तुम इतना डरते क्यों हो यार वो एक औरत ही तो है। क्या तुम एक औरत को नहीं संभाल सकते।
शाम हो रही थी धीरे धीरे रात हो गई।
दोनों पुलिस स्टेशन में सो गए।
आधी रात को हूं हूं ही हिहिं हिही ई ई ।
अजीब आवाजें आने लगी।
गोपीलाल - पता नहीं में कहां फस गया।
इंस्पेक्टर रवि - गोपीलाल तुम ऐसी आवाजें क्यों निकल रहे हो।
गोपीलाल - सर में नहीं चन्द्रकला है।
इंस्पेक्टर रवि - ये फिर आ गई इसको भगाओ यार रोज रोज आ जाती है।
गोपीलाल - थर थर कांप रहा था।
इंस्पेक्टर रवि - क्या यार कोई इतना भी डरता है क्या।
गोपीलाल - सर औरत जिंदा हो तो उसे संभाल भी लूं।
इंस्पेक्टर रवि - तो ये क्या मेरे सामने भूत खड़ा है। ( चन्द्रकला कि और मुड़ते हुए)
चन्द्रकला - ही ही ही ही हा तुझे तो में अपनी हवेली पर ले जाऊंगी।
गोपीलाल - सर आपके पैर क्यों हिल रहे है।
इंस्पेक्टर रवि - ये समय सवाल का नहीं मेरे कमाल का है।
गोपीलाल - कैसा कमाल सर ।
इंस्पेक्टर रवि - अबे भाग ।
दोनों रात भर यहां वहां भागते रहे।