Tuesday 7 January 2020

मंगु की पागलपंती(भाग 3)

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मंगु कि पागलपंती

मंगु हर दिन कुछ ना कुछ कारिस्तानी करता रहता था। इसी वजह से उससे सारे गांव वाले परेशान थे।
एक दिन सारे गांव वाले मिलकर मंगु के घर गए और मंगु के माता पिता से मंगु की शिकायत कर दी। मंगु के माता पिता ने सोचा क्यों ना इसे अपने मामा के यहां भेज दिया जाए । जब ये बात मंगु को पता चली तो उसने सोचा कि वह इसी गांव में खुश है और उसके मामा के यहां केद होकर  नहीं रहना ।
इसलिए उसने सरारत बंद कर दी। कुछ दिन बाद स्कूल भी खुल गए। मंगु 10 वी कक्षा में आ गया था ।
वह पहले दिन स्कूल गया तो उसने देखा नए मास्टरजी आए है पढ़ाने। नए मास्टरजी इतने खतरनाक कि जिसको भी याद नहीं या तो वह स्कूल नहीं आता या क्लास में मुर्गा बनता। मास्टरजी ने कक्षा में प्रवेश लिया सभी विद्यार्थी खड़े हुए और नमस्ते किया।
मास्टरजी ने पूछा की में तुम लोगो को पिछले तीन दिन से पड़ा रहा हूं। पर मुझे आज कुछ नए चेहरे दिख रहे है। एक छात्रा खड़ी होकर बोली मास्टरको आज कक्षा में प्रथम आने वाले लड़का भी आया है।
जबकि सच तो यह था कि मंगु कक्षा के सारे विद्यार्थियों को परेशान करता था इसलिए उस लड़की ने ऐसा कहा ताकि मास्टरजी मंगु को कुछ कहे।
मंगु कक्षा में प्रथम नहीं आता था  पर होशियार था ।
मास्टर्जी ने बच्चों को अपनी अपनी जगह पर बैठने को कहा।
और पढ़ाने लगे। सारे टीचरों ने देखा कि मंगु बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं करता । सारा दिन मस्ती करता रहता है। इसलिए उन्होंने अगले दिन एक परीक्षा रखी। सबको अलग अलग प्रश्न दिए। और मास्टरजी ने मंगु को ऐसे प्रश्न दिए कि मंगु नहीं कर पाया।
दो घंटे बाद सबकी कॉपियां जांच की तो देखा मंगु परीक्षा में फेल हो गया है।
इसलिए मास्टरजी ने उस मुर्गा बना दिया। सारा दिन मुर्गा बना मंगु बदला लेने की सोच रहा था कि रात हो गई और से गया। दूसरे  दिन मंगु स्कूल में मास्टरजी  से खड़ी खोटी सुनकर  घर लौट रहा था कि गणित के मास्टरजी कहीं जाते दिखे । मंगु भी पीछे हो लिया। उसने देखा कि मास्टरजी ने  गली में  जाते हुए एक कागज को पत्थर पर लपेट कर एक घर पर फेका पत्थर जाकर उस घर के आंगन में गिरा । और आगे चल दिए ।
मंगु तुरंत गया और कागज   को उठा लाया ।
कागज में 9211 होकर नदी पर 4 पर 4 करते है लिखा था । मंगु ने उस पहेली को याद कर लिया। और घर जाके सोचने लगा कि इसका क्या जवाब हो सकता है । कुछ समय बाद उसको जवाब मिल गया।
और शाम 4 बजे जाकर नदी में नहाने लगा। तभी उसने देखा कि मास्टरजी और सरपंच कि बेटी आए बाते की और चले गए।
फिर अगले दिन मंगु ने खूब सरारत कि मास्टरजी ने उस सजा दी तो मंगु जोर जोर से बोलने लगा। 9211 होकर नदी पर 4 पर 4। इतना सुनते ही मास्टरजी समझ गए कि इसको पर चल गया है कहीं पोल ना खोल से इसलिए उन्होंने उस अपनी जगह पर बैठा दिया। अब हर दिन यही होता कि मंगु मस्ती करता पर मास्टरजी कुछ नहीं कहते ।
धीरे धीरे मंगु और मास्टरजी में दोस्ती हो गई ।

क्यूंकि समझदार लोग उन लोगो को दोस्त बना लेते है जो उनके लिए खतरनाक हो सकते है।

 इस कहानी से बहुत ही प्यारी सीख मिलती है जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।
इस आदत से अपने जीवन में बहुत सारे दोस्त बना सकते है और लोगो की कमजोरियां पकड़ो ताकि आप भी किसी का उपयोग कर सके । पर हां सही काम के लिए क्यूंकि गलत का अंत गलत ही होता है।
धन्यवाद।

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