Friday 20 September 2019

महागुरु और संवेग(भाग 7- महागुरु की खोज)

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महागुरु और संवेग(भाग 7- महागुरु की खोज)

संवेग ने कहा में अकेला ही वहा जाऊंगा क्यूंकि तुम लोगो की यहा जरूरत है।इतना कहकर वह चला। रास्तों में सारी मुसीबतों को पार करके उच्च मुख पर्वत पर पहुंचा। पर्वत पर चड़ने लगा । तभी दिन में अंधेरा सा छाने लगा मानो रात हो गई हो अजीब से आवाजे आने लगी। परछाईया दिखने लगी संवेग को डर तो लग ही रहा था पर जाना भी जरूरी था। तभी एक राक्षस हमला कर देता है। संवेग उससे लड़ने लगता है और जीत जाता है। और भी राक्षस आते है पर वह लड़ते नहीं ।उनमें से एक कहता है जो हमारे पर्वत पर आकर एक भी राक्षस को हरा देता है हम उस कुछ नहीं करते इसलिए तुम कहीं भी जा सकते हो। संवेग बोला में यहां किसी को ढूंढने आया हूं। राक्षस बोले यह ऐसा कोई भी नहीं है जो बाहर से आया हो।उसने कहा में महागुरु को ढूंढने आया हूं।
सारे राक्षस बोले महाराज महागुरु तो अभी विश्राम कर रहे है। आप उनको कैसे जानते है ।संवेग ने कहा में उसके है साथ रहता था हम दोनों अच्छे दोस्त थे। वह एक दिन यहां आ गया। में उस ढूंढने आय हूं।
राक्षस उस महागुरु के पास ले गए। संवेग ने देखा महागुरु तो लग ही नहीं रहा था महागुरु।क्यूंकि वह पहले जैसा नहीं लग रहा था । राक्षसो में रहकर भी वह इंसानों जैसा दिख रहा था। संवेग ने विनती कि तो महागुरु चलने के लिए तैयार हो गया।
क्यूंकि उसने कसम खाई थी कि वह दोनों चुड़ैलो का अंत करेगा। दोनों वापस योद्धा पुरम आए।
तभी देखा की चारों योद्धा घायल पड़े है। संवेग और महागुरु उनके पास पहुंचे । संवेग उन चारों को एक तरफ बैठाने लगा लेकिन महागुरु खड़ा ही रहा ।तभी अचानक तीरो की वर्षा होने लगती है संवेग घबराकर अपने ऊपर धाल कर लेता है पर महागुरु उन टीरो को नीचे गिरने ही नहीं देता वही रोक देता है।चुड़ैल यह देखकर बहुत क्रोध में हो जाती है। और हमला कर देती है। महागुरु को देखते ही उसकी सिटी पिट्टी गुम हो जाती है वह जमीन पर गिर पड़ती है महागुरु उसे एक बोतल में बंद कर लेता है।
सारे लोग खुश हो जाते है।महागुरु जाने लगता है। पर सारे लोग उसे रुकने आग्रह करते है इसलिए वह रुक जाता है।
संवेग पूछता है तुम्हे देखते ही इतनी कमजोर कैसे हो गई थी। महागुरु ने कहा मेरे ऊर्जा चक्र ने उसे शक्तिहीन कर दिया।
उसके पास कोई भी शक्ति नहीं बची।
महागुरु का स्वागत महल में हुआ। महागुरु से कहा अपनी शक्ति का प्रदर्शन करो तब महागुरु ने कहा शक्ति प्रदर्शित करने के लिए नहीं है इसे दूसरो की मदद के लिए उपयोग करो और हमेशा छुपा कर रखो ।ताकि तुम्हारी शक्तियों को कोई परख ना सके।
गुरुदेव कहते है को अब यहा सबकुछ ठीक है इसलिए तुम लोग दुनिया से बुराई को नस्ट करने के लिए यात्रा करो।
इतनी आज्ञा पकड़ संवेग, महागुरु दोनों चल पड़े । चारों योद्धाओं ने उस राज्य को दुष्टों से बचाने की जिम्मेदारी ली।
महागुरु और संवेग चलते चलते एक ऐसे जंगल में पहुंचे जहां के पेड़ बहुत ही अच्छे लग रहे थे मानो स्वर्ग में आ गए हो।संवेग ने कहा कुछ तो गड़बड़ है।महागुरु बोला यह पेड़ नहीं भूत है।पर तुम ऐसा दिखावा करना जैसे हमे पता नहीं। चुपचाप चलते रहो।हमे यहा से जल्दी निकालना होगा क्यूंकि रात होने वाली है हम इन्हें बाद दिन में ही मारेंगे क्यूंकि रात में यह ज्यादा ताकतवर हो सकते है।
इतना कहना था कि रात हो गई और सारे सुन्दर पेड़ भयानक राक्षस बन गए और उन दोनों को खाने के लिए लपके।पर महागुरु ने अपनी शक्ति से वहा बहुत सारे आदमी बना दिए। राक्षस उनको खाने में व्यस्त हो गए ।और महागुरु और संवेग वहा से निकाल गए।क्यूंकि वह बहुत ही सारे थे और वो सारे जादू से बने हुए थे जिसे महागुरु नष्ट नहींकर सकता था ।
कुछ दिनों बाद वह एक राज्य में पहुंचे ।जहां बहुत ही भीड़ थी। और बहुत सारे लोग थे।


दोस्ती आगे की कहानी अगले भाग में।

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