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डिटेक्टिव वर्मा |
डिटेक्टिव वर्मा अपने क्षेत्र में बिल्कुल ही अनजान डिटेक्टिव है क्यूंकि उसने एक भी केस सुलझाया नहीं है। पर ये बात नहीं की वह सुलझा नहीं सकता। आज पहला कैस आया है उसके पास वह भी मर्डर,चोरी का नहीं बल्कि किसी का हीरा खो जाने का वो भी कहां भेसापुर में क्यूंकि डिटेक्टिव वर्मा वही रहता है। असल में बात यह है कि वर्मा गांव से शहर पड़ने गया । पढ़ाई तो पूरी हुई पर उसे कहीं काम नहीं मिला।जब वापस गांव आया तो गांव वालो ने पूछा क्या करते हो तो जल्द बाजी में उसने अपने आप को डिटेक्टिव बता दिया क्यूंकि वहा कोई ऐसा काम नहीं आने वाला था।पर आज आ गया।
वर्मा के जान पहचान के साहू जी आए और कहा मेरा हीरा खो गया है खेत में तुम ढूंढ़ दो में तुम्हे उसके बदले में पैसे दूंगा। खेत में उन्हें हीरा ढूंढ़ना था।फिर क्या था वह सोचने लगा इतने बड़े खेत में हीरा कैसे ढूंढा जाए।
तभी दिमाग की बत्ती जली और उसने कहा कि एक टॉर्च लेकर आ जाना खेत पे में वही मिलूंगा ।साहूजी खेत पर रात को टॉर्च लेकर आ गये ।अब साहूजी कहते है कि दिन में तो मिला नहीं रात में कैसे मिलेगा। तभी डिटेक्टिव वर्मा ने दूर से ही टॉर्च सारे खेत में घुमाई और खेत में पड़ी चमकदार वस्तु दिखाई दी।पास जाके देखा तो यह वही हीरा था। साहूजी
बहुत खुश हुए। वाह वर्मा जी आपको तो मां गए ऐसा कह के वह चल दिये।वर्मा जी अपनी फीस नहीं ले पाए।
क्यूंकि जब देने वाला ना हो राजी तो क्या करेगा पाजी।
अब वर्माजी को अपनी फीस निकालनी थी इसलिए उसने एक नकली हीरा खरीदा और गांव में बने मंदिर में पटक दिया और भगवानों के गहने निकाल लिए और घर आ गया।
दूसरे दिन गांव में सारे लोग इकठ्ठे हुए उन्होंने कहा गांव में चोरी हो गई अब क्या करा जाए।एक आदमी बोला वर्माजी के पास चलते है।वर्मा जी के पास गए और बोले कि गांव के मंदिर में चोरी हुई है तुम पता लगाओ।वर्मा बोला में पता तो लगा लूंगा पर मेरी फीस । इस गांव में तुम भी तो रहते हो। पीछे से आवाज आई। वर्मा जी ने कहा ठीक है में पता लगाता हूं पर जो चोर होगा वो मेरी फीस देगा। गांव वाले राजी हो गए।वर्मा जी मंदिर में गए और छानबीन करने लगे और देखा कि नकली हीरा पड़ा है जो उन्ही ने रात को फेका था बाहर आकर कहा केस तो नहीं सुलझा पर यहां एक हीरा पड़ा है जिसका हो वह लेले। तभी साहू जी ने किसी बात पे ध्यान ना दिया और अपने जैसा हीरा देखकर बोले यह हीरा मेरा है तभी वर्मा ने कहा साहूजी ही चोर है।क्यूंकि गहने चुराते हुए इनका हीरा गिर गया होगा।साहूजी ने बहुत मना किया पर गांव वाले उन्हें चोर समझते रहे।ओर कहा कल सुबह तक मंदिर में सारे गहने रख देना वरना अच्छा नहीं होगा।
साहूजी तो टेंशन में आ गए । फिर उन्हें एक ही रास्ता सूजा कि वर्मा से ही मदद ली जाए।वर्मा के पास गए और मदद करने के लिए आग्रह किया। वर्मा ने कहा मेरी पिछली और अभी की फीस मिलाकर हुए पांच सौ रुपए पहले फीस दो में तुम्हारी मदद कर दूंगा। साहूजी ने मजबूरी में पैसे दे दिए वर्मा ने कहा घर जाओ कल सब ठीक हो जाएगा।
वर्मा रात को मंदिर में गया और गहने रख दिए।सुबह गांव वालो ने गहने देखकर साहूजी को माफ कर दिया । पर साहूजी को समझ आ गया था कि ये सारा वर्मा का किया धरा है। लेकिन अब किया क्या जा सकता है बदनामी हो चुकी थी इसलिए अच्छा बनकर बदला लेना चाहता था।
आगे की कड़ी में हम देखेंगे कि साहूजी क्या चालाकी करते है और डिटेक्टिव वर्मा कैसे जवाब देता है।
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