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महागुरु और संवेग(भाग 6- चुड़ैल से संवेग की हार) |
पड़ोसी राज्य ने योद्धा पुरम पर हमला कर दिया। अचानक हुए हमले को योद्धा पुरम कि सेना समझ ना पाई। इसलिए संवेग ने उन चारों योद्धाओं के साथ युद्ध भूमि में जाना उचित समझा। उन पांचों योद्धाओ ने पड़ोसी राज्य की पूरी सेना अस्त-व्यस्त कर दी। जब पड़ोसी राज्य का राजा हार गया तब वह संवेग से कहने लगा।हमें माफ कर दीजिए हम आप पर हमला नहीं करना चाहते थे। पर हमारे राज्य पर एक संकट आ गया है। संवेग में कहां संकट! कैसा संकट। तब पड़ोसी राज्य का राजा बोला कि हमारे राज्य में एक चुड़ैल ने प्रवेश पा लिया है जो कि हमारे राज्य में तबाही का कारण बन रही है उसे कोई भी बस में नहीं कर पा रहा है। इसलिए हमने वो राज्य छोड़ने का निर्णय लिया। पर हम रहें कहां इतने लोगों के लिए एक और राज्य चाहिए होगा। इसलिए हमला करने की सोची पर हार गए। हमारी सेना तुम पांचों योद्धाओं से हार गई। मतलब आप हमें बचा सकते हैं। संवेग ने कहा आप हमारे राज्य में मेहमान बन कर रहिए। हम आपके राज्य को बचाएंगे। पूरा राज्य युद्ध पुरम की शरण में आ गया। संवेग ने सोचा यहां चुड़ैल कैसे आई मुझे लगता है वह खाई में जाना पड़ेगा। उन चारों योद्धाओं को लेकर उस खाई में चला वहां उसी मानव से मुलाकात हुई जब विचित्र मानव ने पूछा तो कहा यहां से कोई चुड़ैल नहीं गई है। समझ चुका था कि यह वही चुड़ैल है जो पहले धरती पर आ गई थी। जिनमें से एक को मार दिया इस चुड़ैल को यह लोग नहीं पकड़ सके जबकि एक चुड़ैल को तो वैसे ही मार दिया था। मतलब ! कुछ नहीं बोला और कहा चलो हम लोग उस राज्य में चलते हैं पूरा राज्य चुड़ैल कहीं नहीं मिली जब राजा के महल में गद्दी पर बैठी हुई थी। उसने कहा आ गया तू मैं तुझे मार डालूंगी ।चुड़ैल संवेग के ऊपर लपकी लेकिन संवेग ने उसे दूर फेंक दिया तब चुड़ैल बोली अच्छा तो तू ताकतवर हो गया है ठीक है तो मैं तुझे दिखाती हूं मेरी शक्ति उसने अपने जादू से पांच योद्धा बना दिए । अडिंभा बोला इन सब को तो मैं ही संभाल लूंगा इतना कहकर आगे चला पर अगले ही पल वापस आ गिरा । लगता है बहुत ताकतवर हैं धीमी आवाज में बोला। संवेग बोला चलो हमला करो हमला किया पर उन राक्षसों के पास उनके हर बात का तोड़ था सैलया तो उनके शरीर में प्रवेश नहीं कर पा रही थी पांचों की हार हुई। चुड़ैल कहने लगी जिंदा रहना चाहते हो तो भाग जाओ वरना मैं तुम्हें मार डालूंगी पांचो भाग निकले। अडिंभा ने संवेग से पूछा उस चुड़ैल ने हमें क्यों नहीं मारा वह चाहती तो हमें मार सकती थी। संवेग ने कहा मुझे लगता है वह यहां से अद्भुत नगरी जाने का रास्ता खोज रही है शायद उसे रास्ता मिल गया है यदि ऐसा हुआ तो सारी जगह उन चुड़ैलों का राज्य होगा। नागतुल्य बोला अब हम क्या करें। संवेग ने कहा चलो गुरुदेव के पास चलते हैं गुरुदेव के पास जाकर संवेग ने पूछा गुरुदेव अब हम क्या करें तब गुरुदेव ने कहा एक ही उपाय है। संवेग ने पूछा क्या गुरुदेव ने कहा महागुरु। संवेग बोला नहीं मैं उसे देखना भी नहीं चाहता उसने मेरे सामने ही दो निर्दोष को मार डाला वह भी एक राक्षस ही है। तब गुरुदेव ने कहा यह तुम्हारा भ्रम है कि उसने बेकसूर लोगों को मारा जबकि सच तो यह है क्यों उस में चुड़ैल में प्रवेश कर लिया था। पर महागुरु के शरीर पर वह चुड़ैल राज ना कर सकी। इसलिए वह चली गई और सारा दोष महागुरु पर आ गया। लेकिन वह समझ नहीं पाया क्यों उसने दो मासूमों की हत्या की है उसके दिमाग में यह बैठ गया कि वह दोनों भी चुड़ैल थी इसलिए वह उन हत्याओं का प्रायश्चित करने उच्च मुख पर्वत पर चला गया इसलिए तुम लोग उच्च मुख पर्वत पर जाओ वहां किसी भी गुफा में महागुरु मिल सकता है। पर वहां बहुत खतरा है, क्योंकि वह पर्वत राक्षसों का डेरा है। उस पर्वत पर राक्षस ही रहते हैं, वह पर्वत से और कहीं नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें श्राप है इसलिए तुम्हें संभल कर जाना होगा संवेग ने कहा तैयार हो जाओ हमें चलना होगा।
समाप्त।
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