Monday 16 September 2019

महागुरु और संवेग(भाग 4- चुड़ेलो का अन्त और महागुरु से लोगो का रूठना)

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महागुरु और संवेग(भाग 4- चुड़ेलो का अन्त और महागुरु से लोगो का रूठना )


महागुरु और संवेग जैसे ही वापस आए देखा की गाव पूरा तहस नहस हो गया है और लोग रोते चिल्लाते यहां वहा भाग रहे है।तभी एक भयानक राक्छस दिखा जो लोगो को मार रहा था। तुरंत महागुरु उसके सामने जा पहुंचा अपनी चमकती तलवार  हाथो में घुमाते हुए उससे लड़ने लगा।बह राक्छस बहुत ही बड़ा था इसलिए महागुरु उसके नीचे से घूमते  हुए उसके पीछे गया छलांग लगाकर उसकी पीठ पर आ बैठा ओर तलवार से पीठ को चीर ने लगा। राक्छस को दर्द हुआ तो वह पीठ के बल लेट गया ताकि महागुरु उसके नीचे दब जाता पर महागुरु में इतनी फुर्ती थी कि वह तुरंत दूर जा पहुंचा राक्छस पीठ के बल गिरा।उसने सोचा महागुरु नीचे दब चुका है ।पर अचानक से महागुरु उसके सीने पर आ बैठता है और तलवार से उसके टुकड़े टुकड़े कर  देताहै।

जैसे ही उस राक्छस के टुकड़े करता है वह अपने असली रूप में आ जाती है वह ओर कोई नहीं चुड़ैल थी जो कि पहले बूढ़ी मा के रूप में थी। इस चुड़ैल को तो मार डाला पर अब भी एक ओर चुड़ैल बची थी। पर उस कहा ढूंढा जाए।महागुरु यही सोचता रहा।उसनें देखा की संवेग का पता नहीं कहा है।

वह संवेग को ढूढ़ने लगा ।देखा कि संवेग किसी खूबसूरत लड़की की बाहों में सोया हुआ है।महागुरु ने सोचा वह लड़की ही दूसरी चुड़ैल है महागुरु ने तुरंत उस लड़की को मार डाला ।जब संवेग ने तलवार चलने की आवाज सुनी तो देखा महागुरु ने उसकी प्रेमिका को मार डाला।संवेग को बहुत गुस्सा आया और महागुरु पर वार करने लगा।महागुरु भी बचता रहा उसने पलटवार नहीं किया क्यूंकि उसे लग रहा था कि वह चुड़ैल नहीं है।सारे लोग पास आ गए ओर एक बूढ़ी मां भीड़ से निकल कर आई और रोने लगी महागुरु को कोसने लगी कि उसने मेरी बेटी को मार दिया। पर महागुरु ने बिना देर किए इस बूढ़ी मा को भी मार दिया।लोगो को समझ नहीं आ रहा था कि महागुरु ऐसा क्यों कर रहा है।
सारे लोग महागुरु से वहा से जाने के लिए कहने लगे।और कभी यहा नहीं आना  वरना हम तुम्हे तो नहीं मार सकते इसलिए हम सारे आत्महत्या कर लेंगे और इसके जिम्मेदार तुम होगे।
चले जाओ यहां से।सारे लोगों ने एक स्वर में कहा।
तभी संवेग भी बोला चले जाओ में आखरी बार कह रहा हूं नहीं तो में तुम्हे मार डालूंगा।
महागुरु बिना कुछ बोले वहा से चला गया।
महागुरु को समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है वे सभी चुड़ैल थी जिन्हें भी मेंने मारा पर लोग मेरा यकीन क्यों नहीं कर रहे है । महागुरु बहुत दूर एक पहाड़ की चोटी पर चला जाता है जहां किसी भी साधारण व्यक्ति का आना संभव ही नहीं था।
और वहा उसने भी मान लिया कि मैने जिन मां बेटी को मारा वह इंसान ही थे ।इसलिए वह पश्चाताप करने लगा।
एकांत बैठकर ध्यान में लीन हो गया।

योद्धा पुरम में सारा माहौल पहले जैसा हो गया ।सारे लोग हसी खुशी से जीने लगे।उस कार्यालय को तोड दिया जिसे महागुरु और संवेग ने बनाया था। क्यूंकि अब बड़ा कार्यालय खोल लिया था जिसमें राज्य की सारी सेना को सामिल कर लिया अब संवेग उस राज्य की रक्षा के लिए उत्तरदाई बन गया। संवेग के साथ दो योद्धा भी इसी काम में लग गए ।
संवेग ने सोचा कि दो योद्धाओं से कुछ काम ना चलेगा इसलिए हमे और योद्धा चाहिए होंगे जो कि अलग अलग विधाएं जानते हो। इसलिए उसने पूरे राज्य में  घोषणा करवा  दी कि एक कार्यक्रम का आयोजन है जिसमें सभी योद्धा अपना अपना करतब दिखाए अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करे। जो भी सक्तीसाली होगा उसे राज सेवक बनने का मौका मिलेगा।ऐसा सुनकर अगले दिन बहुत सारे महल के आगे मैदान में खड़े मिले।
सारे राज्य के लोग देखने आए कि कोन कोन हमे दुष्टों से बचाने वाले बनते है।


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