Saturday 28 March 2020

अनोखी शक्ति का रहस्य (भाग 1 - स्वप्न यंत्र )

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अनोखी शक्ति का रहस्य

यह बात उस समय की है जब जादुई शक्तियां विलुप्त होने लगी थी। एक राज्य जोकि बहुत बड़े पर्वत पर बसा हुआ था जिसका नाम कल्प सूर्य था। उसका राजा उदीरसेन था राजा बहुत ही अच्छा और उदारवादी था वहां की एक संस्था जो की सारी उलझी हुई घटनाओं चोरी और तथ्यों की पुष्टि करती थी। उस संस्था में ऐसे कुछ महान योद्धा थे। जिनकी वजह से कल्प सूर्य राज्य न्याय करने में कुशल था।

अक्षय 


अक्षय संस्था का संचालक और खूंखार योद्धा था जो पलक झपकते ही दुश्मन को मार सकता था और राजा के बहुत करीब था। राजा जो भी कहता था उसे अक्षय बिना प्रश्न किए पूरा कर देता। अक्षय एक तेज लड़ाका और शस्त्र चलाने में निपुण था।

चित्रिका


चित्रीका अक्षय की बहन थी । चित्रीका बस बातों को ही सुनकर चित्र बना देती थी चित्रीका अस्त्र चलाने में निपुण थी।

बधिक


बधिक एक छोटा जादूगर था।वह छोटे छोटे जादू करता था जिससे वह दुश्मन को आसानी से हरा देता था। वह लोगो की आंखो को भ्रमित करता था जैसे कि किसी भी वस्तु जैसे चाकू लोगो को कोई फल दिखने लगे और आंखो से ओझल होना।

अभय


अभय बहुत ही बुद्धिमान था और दीवारें चड़ने और भागने में कुशल था।दुश्मनों को धूल चटा दे पर डरपोक और दयालु था जिससे कि वह दुश्मनों से हार जाता था।

एक दिन राजा ने अक्षय को संदेश भिजवाया । अक्षय संदेश पाकर अपने तीनों साथियों के महल गया।
राजा ने आते ही उनको अपने कमरे में ले गया। और कहा रानी अपने रिश्तेदारों के यह गई थी तो में अकेला था। जब ने अकेला सो रहा था  तो दो दिन से मुझे एक ही सपना आ रहा था। मुझे लगा सपना ही तो है। पर जब रानी वापस लौटी और रात को हम सो रहे थे तो उन्हें भी वही सपना आया। ये कैसे हो सकता है। अकेले रहने में ऐसा लगता है कि इस कमरे में कोई हो।
अभय - महाराज आपको स्वप्न में क्या दिखता है।
राजा - स्वप्न में एक जादूगर आता है जो किसी कन्या को मार के उसके शरीर में किसी और कि रूह डाल देता है । और वह रूह इस राज्य को तबाह कर देती है। और अंत में इस पूरे पर्वत का नाश होने लगता है नीचे से कुछ निकलने लगता है।
अभए - क्या निकालने लगता है।
राजा - यह नहीं पता क्यूंकि जानते हुए भी देख नहीं पाते।

अक्षय - कमरे की छानबीन करो कोई भी अजीब वस्तु मिले उसे हमे दिखाओ। ऐसा सैनिकों और अपने साथियों से कहा।

ढूंढते ढूंढते कुछ समय बीता ।

अभय - मुझे एक गोलाकार पत्थर मिला है।
अक्षय - दिखाओ । ये में पहले कभी नहीं देखा।
महाराज क्या ये आपका है।
राजा - नहीं । ये में भी पहली बार देख रहा हूं।
अक्षय - ये क्या होगा ?
बाधिक - ये एक स्वप्न यंत्र है। इसे धोकर जो भी कहोगे ये उसी प्रकार की तरंग निकलेगा। इसी के कारण से महाराज को स्वप्न आ रहे थे।
ये बंगाल के जादूगर रखते है।
अभय - महाराज आपको स्वप्न कब से आ रहे है।
राजा - पिछले तीन दिनों से ।
अभय - मतलब ये तीन दिन पहले ही रखा है।
अच्छा महाराज तीन दिन पहले कोई आपके कमरे में आया था क्या।
महाराज - कोई नहीं बस सफाई करने दासियां आई होंगी।
अभय - मंत्री जी आप उनको बुलवा लीजिए जो तीन दिन पहले यहां सफाई करने आईं थी।
मंत्री - सैनिकों कहे अनुसार दासियों को बुलवाओ।

दासी को लाया गया।
अभय - एक ओर दासि कहा है।
दासी - जी वो अपने घर चली गई। अब वह यहां काम नहीं करेगी क्यूंकि उसकी माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं है ।
अभए - ठीक है तुम जा सकती हो।
महिरा - मतलब दूसरी दासी ने है ये यंत्र रखा है पर किसके कहने पर।
अभए - दूसरी दासी के बारे में पता चाहिए इसलिए मंत्री जी सैनिकों को आदेश दे की वह पूरी जानकारी के साथ लौटे।
 राजा - आओ तब तक हम भोजन करते है।

भोजन किया तब तक सैनिक भी पता लगा चुके थे।
सैनिक - दासी अपने घर नहीं गई ।
और ना ही इस महल के बाहर गई क्यूंकि द्वार पर कड़ा पहरा है और द्वारपालक में कहा एक भी दासी पिछले पांच दिनों से महल के बाहर नहीं गई क्यूंकि माता कि पूजा होगी इसलिए सफाई का कार्य चल रहा है।
अभय- मतलब दासी इसी महल में है।
पता लगाओ।

सैनिकों ने पूरे महल में हर जगह ढूंढा तो एक कमरे में वह दासी मृत पड़ी थी।

मंत्री - महाराज ये में चुकी है मतलब इसने ही ये काम किया और बाद में पता चलने के डर से इसने आत्महत्या कर ली।
अभय - वैध जी को बुलाया जाए।

वैध जी आए ।
अभय - वैध जी हमे बताया जाए की ये कब मरी और इसकी मौत कैसे हुई।
वैध - ये करीब 4 दिन पहले मर चुकी थी और यह डर के कारण मरी है।
मंत्री - अपने को होशियार समझते हुए । महाराज मैने तो कहा ही था राज खुल जाने के डर से इसने आत्महत्या कर ली।
अभय - पर मुझे लगता है इसे मारा गया।
अक्षय - ये किस आधार पर कह रहे हो।
अभय - ये 4 दिन पहले मरी है और ये गोलाकार यंत्र 3 दिन पहले रखा गया। क्योंकि ये यंत्र तुरंत ही अपनी तरंग बिखेरने लगता है।जिससे उसी समय से ऐसे स्वप्न आने लगते है। और ये डर के कारण मरी मतलब इसे किसी ने डराया।
ये और कोई नहीं जादूगर कर सकते है।
चित्रीका - तो ये स्वप्न यंत्र किसने रखा यदि दासी पहले ही मार चुकी थी।
अभय - ये में नहीं बधिक बताएगा।
बधिक - असल में इसे मार के इसका रूप धारण करके ये यंत्र रखा गया होगा।
राजा - ये क्या मजाक है , भला आज भी इतने सक्तिशाली जादूगर है क्या जो ऐसी विद्याएं जानते हो।
बधिक - क्षमा महाराज पर मैने अपने पड़ाई के समय ऐसे जादुगरो का जिक्र अपने गुरुदेव से सुना था जो कि बंगाल में रहते है।
अभय - महाराज मुझे लगता है बधिक सही कह रहा है। और वो जादूगर आपको डराना चाहता है। सायद वह कुछ ऐसा रहस्य जानता है जो कि इस पूरे पर्वत पर है और ये राज्य उसी पर बसा है।
राजा - हा मुझे भी लग रहा है पर वह क्या है और क्यों स्वप्न में भी  दिखाई नहीं देती।
हम उस जादूगर को कैसे पकड़ेंगे।

अभय - महाराज हमे उस जादूगर को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है वह खुद ही हमे बता देगा।

इस कहानी का दूसरा भाग भी पढ़िए ।


धन्यवाद !
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