Saturday 14 September 2019

महागुरु और संवेग(भाग 2- बूढ़ी मां की मदद)

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महागुरु और संवेग (बूढ़ी मां की मदद)


महागुरु और संवेग ने अपने नए  कार्यालय की स्थापना की ही थी कि एक मुकदमा आया । दोनों बहुत खुश हुए पर बो मुकदमा सुनने के बाद उनको समझ ही नहीं आया ।
एक बूढ़ी मां आयी उसने उन दोनों से कहा कि मेरा बेटा एक खाई से नीचे गिर गया था  मुझे अभी सपने आते है कि वो मुझे पुकार रहा है वह अभी भी उस खाई में है मुझे यकीन है कि वह अभी जिंदा है क्यूंकि वो बड़ा ताकतवर था ।मुझे आपकी मदद की जरूरत है मेरे पास इतनी मुद्राएं नहीं है कि में किसी दूसरी संस्था से यह काम करवा सकूं और आपको भी मुकदमे की जरूरत है में यह सौ मुद्राएं दे सकती हूं ।कृपया वहा जाकर पता लगाए कि मेरा बेटा वाकई जिंदा है या नहीं ।
महागुरु और संवेग कहते है हमें वह जगह बताओ हम वहा अवश्य जाएंगे।
बूढ़ी मां ने वह जगह बताई वह जगह बहुत वीरान और खतरनाक लग रही थी फिर भी उन्होंने हां कह दिया क्योंकि वह बूढ़ी मां को उदास देखना नहीं चाहते थे और बूढ़ी मां को घर भेज दिया खुद उस खाई में कूदने के लिए तैयार हुए दोनों ने एक साथ छलांग लगा दी खाई बहुत नीचे होने कारण ऐसा लग रहा था कि दोनों उड़ रहे हैं दोनों को पर लग गए। नीचे आते आते दोनों ने संतुलन बनाया और जमीन पर सलामत उतर गए नीचे जाकर देखा तो यहां एक गुफा है लेकिन मैं उस गुफा में नहीं घुसना चाहते थे क्योंकि उसमें अंधेरा ही अंधेरा था इसलिए पास के पत्थर पर जा बैठे। पत्थर पर बैठकर आसपास के वातावरण को समझ रहे थे  कि इतने में एक
 भयानक जानवर सामने आ गया। बे दोनों भोचक्के रह गए।क्यूंकि वह जानवर नहीं इंसान ही था लेकिन बहुत ही भयानक लग रहा था उसने बिना चुनौती दिए उन दोनों पर हमला कर दिया।दोनों संभल गए पर फिर भी उसने इतनी तिब्रगती से प्रहार किया कि दोनों को चोट आ गई ।दोनों ने जवाब दिया और अपनी कुंग फू का इस्तेमाल करने लगे पर ये क्या उनके हर वार का बचाव करता गया वह मानुष ।और दोनों को हवा में उछलते हुए लात दी दोनों गुफा के द्वार पर गिरे ।महागुरु और संवेग चोटिल हो गए और अपनी पराजय को देखते हुए बह दोनों गुफा में घुस गए ।गुफा में अंदर जाते ही उन दोनों पर लगातार वार होने लगे लेकिन इन वारो का जवाब देना इतना मुश्किल नहीं था ।इसलिए वार करने वाले आदमी को उन्होंने हरा दिया ।और मनीरत्न से उजाला किया तो देखा कि यह तो हमारे जैसा दिखने वाला आदमी है तब दोनों समझ गए कि सायद यह वही बूढ़ी मां का बेटा है ।तब दोनों ने उस आदमी को उठाया और गुफा का पूरा रहस्य पूछा । उसने कहा यहा आओ में तुम्हे बताता हूं ।एक दीवार पर सारा रहस्य लिखा
था । की बाहर जो भयंकर मानव था वह इस गुफा का रखवाला है और इस गुफा से एक रास्ता निकलता है जहां बहुत ही शक्तिशली और धनवान मनुष्य रहते है ।उन दोनों ने यहां से निकालने की योजना बनाई । दीवार पर लिखे रहस्य पढ़कर उन्होंने एक पानी के तालाब को खोज निकाला । जिसे पीकर वे उड़ सकते थे।और वह उड़कर वापस चले ।दोनों खुश हुए की उनको उड़ने की शक्ति मिल गई पर जैसे ही वह तीनों उपर आए वैसे ही उनकी शक्ति चली गई। दोनों निराश तो हुए पर खुश भी थे कि उन्होंने पहला मुकदमा सुलझा लिया था और बूढ़ी मा को उसके बेटे से मिलवा दिया और वह दोनों अपने कार्यालय में चले गए ।
संवेग को दो सवाल खटक रहे थे ।महागुरु के पूछते ही उसने कहा कि बूढ़ी मां को आवाज क्यों सुनाई देती थी और क्या वह नगर सच में है ।
कुछ देर बाद उन्हें उस रास्ते का ख्याल आया जिसका जिक्र दीवार पर था ।वह उस नगर में जाना चाहते थे जहां धनवान और शक्तिशाली लोग रहते है।
और फिर सुबह वहा जाने के लिए तैयार होने लगे।

दोस्तो महागुरु और संवेग गुफा में वापस जाते है और रास्ता खोज निकालते है इसके आगे क्या होता है पढ़िए अगले भाग में।
धन्यवाद।

महागुरु और संवेग (भाग -3 अद्भुत नगरी में प्रवेश )



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2 comments:

  1. Excellent work keep it...may you explain your story by show more wallpapers it make professionals your story.

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  2. ya it is just starting and thank you

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